धरना - प्रदर्शन और मामले को हाईकोर्ट
ले जाने की तैयारी
सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग , बलरामपुर लंबे
समय से तरह - तरह की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का शिकार है | इस वन प्रभाग के
बनकटवा परिक्षेत्र में दर्जन भर से अधिक मनरेगा श्रमिकों से काम लेने के लगभग डेढ़
वर्ष बाद भी मज़दूरी नहीं मिल पाई है |
अधिकारी काम लेने से इन्कार कर रहे हैं
और हज़ारों रुपयों की मज़दूरी डकार चुके हैं |
दूसरी ओर काम लेनेवाले वाचर ने लिखित
रूप में कहा है कि उसने श्रमिकों से काम लिया है |
इससे एक बार फिर वन विभाग के भ्रष्ट
अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है और उन पर वर्षों से लंबित मजदूरी भुगतान
करने का दबाव बढ़ गया है |
उल्लेखनीय है कि इन श्रमिकों में से चार
श्रमिकों - रामफल , कृपाराम , बड़कऊ और राम बहादुर को मज़दूरी अदा करने की बात प्रभागीय
वनाधिकारी करते हैं , जबकि ये श्रमिक भी मजदूरी मिलने से इन्कार करते हैं | बनकटवा वन क्षेत्र के
पूर्व फारेस्ट गार्ड नूरुल हुदा तो किसी भी श्रमिक को पहचानने तक से इन्कार करते
हैं , जबकि उनके और वाचर सिया राम द्वारा विभिन्न अवधियों में काम
लिया गया था |
वाचर सिया राम ने लिखित रूप में माना है
कि श्रमिकों से काम लिया | पांच जनवरी 2015 को कलमबंद की गई उनकी तहरीर इस प्रकार है -
'' मैंने 13 जनवरी 2014 से 26 मार्च 2014 के बीच विभिन्न अवधियों में ग्राम मैनडीह और टेंगनवार निवासी
गण सर्वश्री केशव राम , राम वृक्ष , मझिले यादव , राम बहादुर , बड़कऊ यादव , कृपा राम , खेदू यादव , राम प्यारे , शिव वचन , शंभू यादव , संतोष कुमार यादव ,
रामफल आदि से वृक्षारोपण और झाड़ी की
सफ़ाई आदि का कार्य लिया | फारेस्ट गार्ड नूरुल हुदा की निगरानी में मैंने यह कार्य कराया
| बिना किसी भय ,
दबाव के शांत चित्त के साथ उक्त लिखित
तथ्यों को पढ़वा कर - समझ बूझ कर ही मैंने इस तहरीर पर अंगूठा लगाया है |''
इस तहरीर पर गवाह के तौर पर मैनडीह
ग्राम के निवासी राजकुमार मिश्रा और रामकुमार के हस्ताक्षर हैं | मजदूरों ने बताया कि
वे अपनी मज़दूरी लेने के लिए धरना - प्रदर्शन और लेबर कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के
विकल्पों पर विचार कर रहे हैं | रिहाई मंच , लखनऊ के वरिष्ठ नेता श्री राजीव यादव ने बताया कि यदि बलरामपुर
वन विभाग इस मामले में त्वरित कार्रवाई करके सभी श्रमिकों को उनकी मज़दूरी अदा नहीं
करता तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पी .आई . एल दाख़िल किया जाएगा |
ज्ञातव्य है कि उक्त श्रमिक अपनी मज़दूरी
को पाने के लिए विभिन्न उच्चाधिकारियों से लिखित रूप में निवेदन के चुके हैं , लेकिन कोई सकारात्मक
कार्रवाई नहीं की गई | कह दिया गया कि किसी ने काम ही नहीं लिया गया | फिर कहा कि हाँ , चार ने कार्य किया , लेकिन श्रमिकों के
अनुसार ,उन्हें भी मज़दूरी भुगतान नहीं गई !
बनकटवा के रेंजर पी. डी . राय लिखते हैं कि ‘’ स्पष्ट है कि जब दि . 28 – 1 – 14
को काम प्रारंभ हुआ तो दिनांक 26 – 3 – 14 जैसा कि शिकायतकर्ता ने अपने [ अपनी ]
शिकायत में लिखा है | शिकायतकर्ता द्वारा कैसे 70 दिन काम किया गया | ‘’ इस तथ्य
के विपरीत अब प्रभागीय वनाधिकारी एस . एस . श्रीवास्तव लिखते हैं कि ‘’
शिकायतकर्ता श्रमिकों द्वारा कार्य करने की समयावधि दिनांक 13 – 01 – 2014 से 26 –
03- 2014 तक बताई गई है’’ , जो 70 दिन से अधिक है | इस
मामले में फर्जी ढंग से अपनों को भुगतान करवाकर मज़दूरी हड़पने में बनकटवा वन
क्षेत्र के वाचर राम किशुन पर अधिकारियों की पर्याप्त मदद करने का आरोप है |
एक आर . टी . आई . के उत्तर में बलरामपुर के
प्रभागीय वनाधिकारी श्री श्रीवास्तव ने बहुत - से तथ्यों को छिपा लिया है | आरोप है कि वे भ्रष्टाचारियों
को प्रश्रय दे रहे हैं | ' कान्ति '[ साप्ताहिक ] के उपसंपादक मुहम्मद यूसुफ ' मुन्ना ' ने सूचना आयुक्त , लखनऊ के पास इस मामले
को पेश किया है | उन्होंने अपनी शिकायत का आधार संबंधित अधिकारी के भ्रामक , अपूर्ण , टालू , तथ्यों को छिपानेवाला
, अकर्मण्यतापूर्ण जवाब और सूचनाधिकार अधिनियम के प्रावधानों के
विरुद्ध बताया हैं |
सूचना आयुक्त को लिखित रूप में बताया
गया है कि सूचनाधिकार अधिनियम 2005 के अध्याय 1 - प्रारंभिक | अध्याय 2 - '' सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं '' शीर्षक के अंतर्गत , अनुच्छेद 4 में
लिखा है कि '' डिस्केट , फ्लापी , टेप , वीडियो कैसेट के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक रीति में
या प्रिंटआउट के माध्यम से सूचना को ,
जहाँ ऐसी सूचना किसी कम्प्यूटर या
किसी अन्य युक्ति में अंतरित है , अभिप्राप्त करना |
''
अपने उत्तर में प्रभागीय वनाधिकारी , सोहेलवा वन्य जीव
प्रभाग , बलरामपुर [ उत्तर प्रदेश ] ने किसी दस्तावेज को संलग्न नहीं किया
है और बार - बार वेब पोर्टल देखने को निर्दिष्ट किया है , जो कानून के
विरुद्ध है | उत्तर की अन्य बातें भ्रामक , अपूर्ण और नियम के प्रतिकूल हैं -
1 . प्रश्न संख्या 1
के उत्तर में कहा गया है कि 20.12.2014 को शिकायत का पत्र प्राप्त हुआ , जिसका उत्तर 16.01.2015 को दिया गया |
ज्ञातव्य है कि मनरेगा पोर्टल पर यह
शिकायत ऑनलाइन 03.08.2014 को की गई थी |
यह उत्तर भ्रामक है | यह पोर्टल 01 . 06 . 15 से भुगतान न होने के कारण बंद कर दिया है , जो आज की तिथि तक
बंद है |
2. प्रश्न संख्या 2
कर उत्तर में अपूर्ण जानकारी दी गई है
| यह नहीं बताया गया कि मजदूरी का भुगतान किस विधि से और किन बैंक
खातों में किया गया ? जबकि इस बाबत पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने की सूचना मांगी गई थी | मजदूरों के अनुसार , उन्हें न तो बैंक
खातों या अन्य किसी माध्यम से मजदूरी का भुगतान किया गया है | उत्तर में यह सूचना
स्पष्ट रूप से छिपा ली गई है |
इस प्रश्न के उत्तर में मनरेगा पोर्टल
देखने की बात लिखी गई है |
3. प्रश्न 4 के उत्तर में भी भ्रामक जानकारी दी गई है | कहा गया है कि
मनरेगा मजदूरों की समस्याओं के निदान हेतु कोई सरकारी दिशा - निर्देश / अधिसूचना
कार्यालय में मौजूद नहीं है |
उल्लेखनीय है कि इस बाबत सरकारी
अधिसूचना संख्या 1308/38 - 7 - 09 - 45 एन . आर . ई . जी . ए . - 08 के अंतर्गत शिकायत निवारण तंत्र
नियमावली 2009 मौजूद है , जो 24 सितंबर 2009 से लागू है |
4 . प्रश्न 8 के उत्तर में कोई दस्तावेज न देकर मनरेगा वेब पोर्टल को देखने को
निर्दिष्ट किया गया है , जो सूचनाधिकार कानून के विरुद्ध है |
5 . प्रश्न 9 का उत्तर भी अपूर्ण है | यह कहकर दस्तावेज नहीं प्रदान किया
गया कि वॉउचर्स पर कार्य नहीं लिया जाता , बल्कि मस्टर रोल जारी किया जाता है और
इसे ब्लाक को वापस कर दिया जाता है , अर्थात विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं
रहता | यह उत्तर भी भ्रामक और अपूर्ण है |
बलरामपुर वन विभाग की कार्य प्रणाली से राज्य सरकार भी असंतुष्ट है
| अभी पिछले दिनों वन एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री फरीद महफूज किदवाई ने बलरामपुर के
वनाधिकारियों को अवैध रूप लगातार काटे जा रहे पेड़ों और वन माफ़िया को पनपाने पर कड़ी
फटकर लगाई | उन्होंने कहा कि बलरामपुर जिले में वन सुरक्षित नहीं है। जंगल
काटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जंगल से पेड़ों के अवैध कटान को
रोकने के लिए जिले में परमिट जारी करने पर रोक लगाने पर भी विचार किया जाएगा।
क्योंकि यहां बड़ों (सफेदपोश) के संरक्षण में वनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
इसके लिए मुख्यमंत्री से सीधी बात करूंगा।
लखनऊ से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के
विगत छह अगस्त के अंक में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश के वन एवं
युवा कल्याण राज्यमंत्री फरीद महफूज किदवई ने सोहेलवा जंगल के बरहवा रेंज का औचक
निरीक्षण किया। मंत्री महोदय खबर में इंगित गनेशपुर व गदाखैव्वा बीट तक गए।
गनेशपुर बीट का उन्होंने चीफ कंजरवेटर उरबिला थामस और प्रभागीय वनाधिकारी एस .एस . श्रीवास्तव के साथ निरीक्षण किया।
राज्यमंत्री के मुताबिक़ , गनेशपुर बीट में
करीब सौ बूट (जड़) मिले हैं। इनमें कई पुराने है जिनमें नंबर पड़ा है , लेकिन पांच बूट नए
कटान के भी मिले हैं। सोहेलवा जंगल में पेड़ों की कटान अंधाधुंध हो रही हैं। इस
कार्य में बड़े लोगों का लकड़ी काटने वालों को संरक्षण मिला है। जिम्मेदार अधिकारी
भी जानकर अनजान बने बैठे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। वन की सुरक्षा मुख्यमंत्री
की प्राथमिकता में है। गनेशपुर व गदाखौव्वा बीट सहित जंगल में काटे गए पेड़ों की
सजा जिम्मेदारों को मिलेगी। राज्य मंत्री ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर
स्थिति से अवगत कराएंगे। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। इसमें कार्रवाई तय है। आसपास
के गांव के लोगों ने पेड़ काटने वालों के नाम राज्यमंत्री महोदय को बताये |
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