गर यह लबरेज़ सकीना टूटकर बिखर जाएगा , सदियाँ लग जाएंगी समुन्दर के गरकाब होने में | - रामपाल श्रीवास्तव 'अनथक'
Read More
Home / Archive for 2014
दास्ताने जुनूं इसका भा गया मुझे |
उसने जब समझ लिया ठीक से मुझे जानकर अनजान करता गया मुझे क्या करूं ये मुझ जैसा पागल नहीं ? दास्ताने जुनूं इसका भा गया मुझे | - ...
Read More
वो सादा कागज .........
वो सादा कागज ही कयामत है , जीवन रीता है रीता ही रहेगा , समय से पहले रोशनी गर जलती सुबह से पहले गर कयामत आती फिर लफ्जों की लौ...
Read More
उस प्रेम - सुधा ......
उस प्रेम - सुधा सरसाने की बात क्यों करें ? छद्म युग - बोध से प्रबोध की बात क्यों करें ? इस रक्तपात को देख रही हमारी नजरें यूँ थोथ...
Read More
तेरी हसीन चाल पर मोहित हो गये
तेरी हसीन चाल पर मोहित हो गये, तेरी क़द्रदानियों के कृतज्ञ हो गये , चलते रहे साथ तेरे दहाइयों तक , तेरी फरेबकारियों के मर्मज्ञ हो ग...
Read More
परमात्मा ही सर्वशक्ति - संपन्न है
इन्सान अपनी करतूतों से प्रकृति के उपादानों का विनाश कर रहा है , जो भी बिगाड़ और विनष्टीकरण का कारण है | आज इंसान ख़ुद प्राकृतिक संसाधनों ...
Read More
तेरी यादें जो साथ - साथ हैं
तेरे बिन आये हम इस शहर में सुबह से शाम हुई दोपहर में तेरी यादें जो साथ - साथ हैं जिंदा हूँ सुबहोशाम इस शहर में - राम पाल श्...
Read More
क्या हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है ?
यह प्रश्नचिह्न माननीय गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पिछले दिनों दिए गए एक निर्णय से लगा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है । माननीय न्य...
Read More
Subscribe to:
Posts
(
Atom
)