गर यह लबरेज़ सकीना ...... Unknown 8:48 AM Add Comment Edit गर यह लबरेज़ सकीना टूटकर बिखर जाएगा , सदियाँ लग जाएंगी समुन्दर के गरकाब होने में | - रामपाल श्रीवास्तव 'अनथक' Read More