आम बजट नहीं , खास बजट


लोकसभा चुनाव  मे पूंजीपतियों से लिए गए हज़ारों करोड़ रुपए के चंदे का कर्ज़ मोदी जी ने  ब्याज  समेत चुकता कर दिया है देश की जनता को इस आम बजट से बहुत उम्मीदें थीं। भला हों भी क्यों न क्योंकि सरकार ने अच्छे दिनों का वादा जो किया था लेकिन मोदी सरकार के इस पहले पूर्ण बजट से आम जनता को निराशा हाथ लगी। आशा जितनी बड़ी हो निराशा भी उतनी ही बड़ी होती है। यह सभी को भलीभांति मालूम है कि मोदी सरकार को अभी लगभग चार साल तक कोई खतरा नहीं है इसलिए आम जनता का हित उसके लिए गौण है 
प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि आम जन को कैसे बहलाना है उनके पास प्रभावशाली भाषण देने की कला है ही देश भक्ति और भारत माता के तराने भी उन्हें याद हैं और मीडिया को साधने की होशियारी भी उनके पास है |
शायद इसलिए उन्होंने कारपोरेट कर तो आगामी चार सालों में [ इस सरकार के कार्यकाल के अंत तक ]  30% से घटा कर 25% करने की पहल कर दी है मगर सामान्य करदाता को कोई राहत नही दी है केंद्र में यही भाजपा जब विपक्ष में थीतब वह यूपीए सरकार पर चीख-चीख दबाव बना रही थी कि वेतनभोगी वर्ग को राहत देने के लिए पांच लाख रु . तक की आय कर मुक्त की जानी चाहिए। अब प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने पर इसने नौकरीपेशा वर्ग को कर छूट की सीमा न बढ़ाकर ठेंगा दिखा दिया। कारपोरेट सेक्टर से सरकार के पास  लगभग  पांच लाख करोड़ रुपए कर के रूप मे प्राप्त होते हैं  
उनके कर की दर 30% से 25% करने पर सरकार को लगभग अस्सी हज़ार करोड़ रु. का घाटा होगा पर यह घाटा मोदी सरकार को मंजूर है ! हमारे देश के व्यक्तिगत करदातायों मे से लगभग दो करोड़ करदाता ऐसे है जिनकी आय ढाई लाख रुपए सालाना से लेकर तीन लाख रु . तक है इसका औसत है 275000रुपये ये लोग 10% की दर से कर देते है 
यदि सरकार आयकर छूट सीमा पांच लाख के बजाय तीन लाख कर देती तो केंद्र सरकार का बजट संतुलित रहता और भाजपा का वादा भी पूरा होता एवं जिस मध्य वर्ग के उसे जिताया है वह भी किसी हद तक ख़ुश रहता सरकार को आयकर छूट सीमा पचास हज़ार बढ़ाने पर मात्र पांच हज़ार करोड़ रु . का भार आता जो भ्रष्टाचार - स्रोत मनरेगा पर पांच हज़ार करोड़ रु न बढ़ा कर आसानी से किया जा सकता था इस योजना के लिए मोदी सरकार ने 34 हजार 699 करोड़ का आवंटन किया है |
बताया जाता है कि रक्षा बजट में भारी - भरकम वृद्धि के लिए मध्य वर्ग की बलि दी गयी है ! 
सरकार ने अगले वित्त वर्ष का रक्षा बजट 10.95 प्रतिशत बढाकर 2.46 लाख करोड़ रुपए करने का शनिवार को प्रस्ताव किया है ,जबकि मौजूदा 2014-15 वित्त वर्ष के लिए इसका संशोधित अनुमान 2.22 लाख करोड़ रुपए है। वित्त वर्ष 2015-16 के लिए केंद्र सरकार का कुल खर्च 17,77,477.04 करोड़ रुपए का है जिसमें रक्षा बजट का हिस्सा लगभग 13.88 प्रतिशत का है। सरकार ने पिछले साल रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में 2.29 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए थे  ,लेकिन इसे संशोधितकर 2,22,370 करोड़ रुपए किया गया था। 
पिछले साल के बजटीय अनुमानों की तुलना में आम बजट 7.74 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात को रेखांकित किया कि हमारी मातृ भूमि के एक - एक इंच क्षेत्र की रक्षा सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक हम आयात पर जरूरत से अधिक निर्भर रहे हैं।’ सरकार पहले ही रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति प्रदान कर चुकी है। हमारे देश में करारोपण का खुला खेल दशकों से चल रहा है जिसमें आम जनता बुरी तरह पिस रही है 
नित नये करों ने जीवन को नारकीय बना डाला है पहले सर्विस टैक्स [ सेवा कर ] का भी अन्य कुछ करों की तरह अता - पता नहीं था पर इस बजट में यह कर जानलेवा बनकर उभरा है हमारे देश में गरीब से गरीब व्यक्ति को भी विभिन्न सेवाओं जैसे होटलों में खाना बिजली बिलटेलीफोन बिलआवास की खरीद बीमा प्रीमियमक्रेडिट कार्ड बिल इत्यादि पर सर्विस टैक्स चुकाना पड़ता है। अभी यह दर 12.36 फीसद है ,जिसे बजट में बढ़ाकर कर 14 फीसद करने का प्रस्ताव किया गया है। इसका मतलब साफ है कि यदि कोई व्यक्ति सैलून में कटिंग कराने भी जाता है तो अब उसे ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। यहां तक कि यदि कोई गरीब व्यक्ति अपना मोबाइल फोन रिचार्ज कराता है ,तो अब उसे पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। कुल मिलाकर सेवाकर में वृद्धि से आमजन का महीने का बजट गड़बड़ा सकता है। माल भाड़ा बढ़ाकर रेलमंत्री सुरेश प्रभु अपनी महंगाई की लीला दिखा चुके हैं 
हमारे देश में आयकर कानून दशकों पुराना है। समय के बदलाव के साथ इसमें ऐसी कई विसंगतियां आ गई हैं जो अब हास्यस्पद बन गई हैं। मिसाल के तौर पर पति पत्नी को उपहार में कुछ दे नहीं सकता जो देगा कर योग्य होगा जो पति पर देय होगा इसी प्रकार दो बच्चों तक की पढ़ाई के एवज में 100-100 रपए प्रतिमाह के खर्च पर कर छूट का प्रावधान है। इसी तरह हॉस्टल खर्च के लिए प्रति बच्चा 300-300 रपए प्रतिमाह की कर कटौती हासिल कर सकते हैं। 
फिलहाल खर्च की यह सीमा कतई तर्कसंगत नहीं है। देश के किसी भी कोने में ऐसा कोई हॉस्टल नहीं मिलेगा जिसमें इतने कम पैसे बच्चे का खर्च चल सके। वेतनभोगी कर्मचारियों को अब तक 800 रपए प्रतिमाह तक मिलने वाले ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था लेकिन अब इस तय सीमा को बढ़ाकर 1600 रपए प्रतिमाह करने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही आयकर की धारा 80डी के तहत स्वास्थय बीमा पालिसी पर मिलने वाली छूट को 15000 रपए से बढ़ाकर 25000 करने का प्रस्ताव रखा गया है। 
वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस सीमा को 20000 रपए से बढ़ाकर 30000 करने का प्रस्ताव रखा गया है। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में पचास हज़ार रु . अतिरिक्त निवेश करके और टैक्स बचाया जा सकता है लेकिन यह स्कीम भी कर योग्य है इस बजट के प्रावधान बताते हैं कि यह वास्तव में आम जन के हितों के प्रतिकूल और पूंजीपतियों का हितसाधक बजट है |
 बजट प्रावधानों के अनुसार अब आर . बी . आई . के उतने दांत नहीं रहे उसके वे सभी दांत तोड़ दिए गए हैं जिनसे पूंजीपति वर्ग को परेशानी उठानी पड़ती थी लेकिन आर . बी . आई . अब स्वतंत्र रूप से अवश्य दरों में कटौती कर सकेगा इसका एक और प्रमाण बजट आने के दिन मिला बजट की रही - सही कसर मोदी जी ने शाम को पूरी कर दी डीज़ल और पेट्रोल के दाम लगभग तीन रु . प्रति लीटर बढ़ाकर यानी जले पर नमक ! 
- Dr. Ram Pal Srivastava
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