रेलवे शिकायत - कार्रवाई नदारद

रेलवे शिकायत - कार्रवाई नदारद 
'' 31 मार्च 2014 को मैं इस बिच्छू - कोबरा गैंग के आतंक का प्रत्यक्षदर्शी और भुक्तभोगी बना | मैं उस रात पूर्णतः एसी ट्रेन दुरंतो एक्सप्रेस  [ 12271 ] से नई दिल्ली आने के लिए लखनऊ में बी इ कोच 1 में सपत्नीक बैठा | यह कोच पूरे प्लेटफार्म पर चक्कर लगाने के बाद बड़ी मुश्किल से मिला , क्योंकि बी इ 1 इंजन के पीछे लगा था और बी इ 2 ट्रेन का सबसे पिछला कोच था |
 बर्थ का रिजर्वेशन [ पी एन आर नं . -  2619347693] पहले से करा रखा था |  बर्थ नंबर 63 और 64 पर बैठते ही पन्द्रह - बीस की तादाद में बिच्छू - कोबरा गैंग के सदस्य घुसे . जिनमें से कुछ का बर्थ रिजर्व था | लग रहा था कि कइयों के पास टिकट नहीं हैं | ये सभी कोच के एक गेट के पास की बर्थों पर , जहाँ हम सबकी बर्थ थी , हुडदंग मचाते हुए आकर बैठ गये | रात के लगभग सवा ग्यारह रहे थे |  अब गैंग वालों की शराब - कबाब की बारी आयी |
 सिगरेट का दौर तो सुबह दिल्ली पहुंचने तक चलता रहा | शराब की पांच - सात बोतलें खुलीं | कोच के आधे हिस्से को मयखाना बना डाला | जब शराब - कबाब का दौर चल रहा था , तभी एक टीटी महोदय कोच के उसी ओर गेट खोलकर घुसे , जिधर हम लोग थे और हुडदंग चल रहा था | टीटी ने टिकट माँगा , तो एक सज्जन ने उसे शराब की बोतल थमा दी और दूसरे ने कमैंने हा - कहा नहीं जानता हमारे बिच्छू - कोबरा गैंग को ? इतना सुनना था कि बोतल रखकर टीटी महोदय भाग खड़े हुए | फिर कोई नहीं आया | सुरक्षाकर्मी पहले से ही नदारद थे | पता चला किसी एसी कोच में सुरक्षाकर्मी आराम फरमा रहे हैं | 
पूरी रात इनका तांडव जारी रहा | देर रात एकभद्र महिला का सब्र जवाब दे गया | उन्होंने यह कहकर विरोध जताया कि हंगामा बंद करो | सुबह ड्यूटी पर जाना है , इसलिए सोना ज़रुरी है | मैंने भी महिला का समर्थन किया , लेकिन विरोध करने का अच्छा नतीजा नहीं निकला | पूरी रात कोच ' जीवंत नरक ' में ही तब्दील रहा |
गैंग के गुंडे अपशब्दों की बौछार करने लगे | हालात भांपकर महिला ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी | गुंडा तत्व किस तरह गुंडागर्दी करके लोकतंत्र को हड़प लेते हैं और विधि - विधान और क़ानून की मौजूदगी में जनता की परेशानियाँ किस हद तक बढ़ा देते हैं , इसकी एक नहीं अनेक घटनाएं घटती रहती हैं | उक्त घटना के सिलसिले में रेल - प्रशासन को चाहिए कि इसे गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई करे और असामाजिक तत्वों की हरकतों से यात्रियों को सुरक्षित रखे |  ''
उपर्युक्त शिकायत ऑनलाइन [ com/dcm/cms/194-2-4-14/sp ] दर्ज कराई | इसके बाद लखनऊ चारबाग थाने से किसी यादव जी फोन आया और उन्होंने अपने को एस आई बताया , साथ में यह भी कि वे मामले की जाँच कर रहे हैं | उन्होंने कहा कि आप लखनऊ आ जाएं और अपना बयान दर्ज कराएं | जब उनसे मैंने कहा कि मैं पत्रकार हूँ और एक विशेष प्रोजेक्ट पर कार्य करने की वजह से अभी दिल्ली में हूँ , इसलिए तत्काल नहीं आ सकता | यादव जी फरमाया कि दिल्ली में ही दो सिपाहियों को भेजता हूँ , अपना बयान दर्ज करा देंगे | मैंने कहा कि ठीक है | मैंने उनको पता आदि बताया | एक - दो दिन में ही उनका फोन आया कि क्यों न आपकी लिखित शिकायत को आपका बयान मान लें ? मैंने कहा कि यदि मेरा पक्ष प्रभावित न हो , तो आप ऐसा कर सकते हैं | उन्होंने कहा कि ऐसा कदापि न होगा कि आपका मामला प्रभावित हो | मुझे सहज रूप से यादव जी की बात पर कुछ आशंका हुई , मगर यह सोचकर कि सभी पुलिस वाले एक जैसे नहीं होते , मैंने कुछ अधिक न कहा | 
अफसोसनाक हश्र 
कहने का मतलब यह मेरी शिकायत का बुरा नतीजा निकला | उत्तर रेलवे , लखनऊ मंडल का 10 / 06 / 14 का दिनांकित पत्र जो निदेशक , जन परिवाद की ओर से था , मिला , तब समझ में आया कि जनता की शिकायत पर कैसा उपेक्षित भाव अपनाया जाता है | पत्र में लिखा गया , '' जांचोपरांत पाया गया कि उक्त कोच कोई गेंग नहीं , बल्कि प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी यात्रा क्र रहे थे , जिनका आरक्षण उस कोच में था | कार्यरत टी टी ई द्वारा इन्हें शोरगुल न करने के लिए कहा गया था | '' यह एकदम अनुचित और रिश्वत लेकर मामले को दबाने की बात लगती है | टी टी ई तो कोच में दूसरी ओर दिखाई पड़ा था , जो हम लोगों का टिकट भी न चेक करके दूसरी ओर से ही निकल गया और मेरी यात्रा के दौरान दोबारा नहीं आया | असामाजिक तत्वों से उसकी कोई बात ही नहीं हुई थी | क्या इस स्थिति को वर्तमान मोदी सरकार बदल पायेगी ?

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